October 24, 2013

मेरी उड़ान |

मन ने मेरे बुने थे सपने हज़ार
सोचा था बदलूंगी उन्हें हक़ीकत में एक बार |

दुनिया को बदलना था मुझे
छोड़ना था अपना निशां |

पंख लगा उड़ना था मुझे
छूना था ये आसमां |

सिर्फ आज नहीं कल को भी अपना बनाना था
अपने कल से बेहतर कुछ करके दिखाना था |

हिम्मत की कोई कमी न थी
थे रास्तें चलने को अनेक मेरे पास |

पर तूने मुझे चलने न दिया
मेरे पंखो को रूसर होने न दिया |

हर क़दम पर थे सवाल खड़े
हर मोड़ पर कुछ नई बाधायें |

तेरी हैवानियत का हूँ मैं सबूत
मेरे हर ज़ख्म में हैं तेरी छाप |

तेरे शोषण की वजह मेरी कमजोरी न थी
तेरी सोच का शिकार बन गयी हूँ मैं |

अब हर मोड़ पर झिझकती हूं
आगे बढ़ने से लगता है डर मुझे |

ये तेरी जीत नहीं
मेरी हिम्मत का है इम्तेहां |

हर कसौटी पर खरी उतरूंगी मैं
न कम समझ मेरी सोच की ताकत को |

तू जितने ही रूकावट ला खड़ी कर
मेरी उड़ान उन सबसे उची होगी |

मैं कटे पंखो से ही उड़ जाउंगी
एक नया रास्ता बना ही लुंगी |

असीमित है संभावनाए
हर एक है मेरे लिए संभव
हर एक है मेरे लिए संभव |